बीते साल के बाद फिर से रोज डे आया हैं, मेरी आँखों में सिर्फ तेरा ही सुरूर छाया हैं, जरा तुम आकर तोह देखो एक बार, के तुम्हारे इंतजार में पुरे घर को सजाया हैं।
किसने कहा पगली तुझसे कि, हम तेरी खूबसूरती पर मरते हैं, हम तो तेरी गुलाबी आँखों पर मरते हैं, जिस अदा से तू हमें देखती है।
आप मिलते नहीं रोज रोज, आपकी याद आती हैं हर रोज, हमने भेजा हैं रेड रोज, जो आपको हमारी याद दिलाएगा हर रोज।
मेरा हर ख्वाब आज हकीकत बन जाये, जो हो बस तुम्हारे साथ ऐसी जिन्दगी बन जाये, हम लाये लाखो में एक गुलाब तुम्हारे लिए, और ये गुलाब मोहब्बत की शुरुआत बन जाये
अगर कुछ बनना है तो गुलाब के फुल बनो. क्यों की ये फुल उस के हाथ मैं भी खुशबु छोड़ देता है जो इसे मसल कर फ़ेंक देता है
बड़े ही चुपके से भेजा था मेरे मेहबूब ने मुझे एक गुलाब, कम्भख्त उसकी खुशबू ने सारे शहर में हंगामा कर दिया
तुम्हारी अदा का क्या जवाब दूँ, क्या प्यारा सा उपहार दूँ, कोई तुमसे खुबसूरत गुलाब होता तो लाते, जो खुद गुलाब है उसको क्या गुलाब दूँ.
किताब-ए-दर्द का सूखा हुआ गुलाब नहीं होना मुझे मोहब्बत में इस तरह भी कामयाब नहीं होना मुझे